गोस्वामी तुलसीदास जी के दोहे एवं उनके हिंदी अर्थ (Tulsi Das Dohe With Hindi Meaning)

Tulsi Das Dohe With Hindi Meaning
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आज हम आपको इस लेख में महान कवि तुलसीदास जी की प्रेरणादायक दोहे जिसे “तुलसी दोहावली” – Tulsi Dohawali भी कहा जाता हैं उसके अर्थ जानेंगे। इसके साथ ही आपको यह भी बताएंगे कि हमें इन दोहें से क्या सीख मिलती है तो आइए जानते हैं तुलसीदास जी के दोहे – Tulsidas Ke Dohe के बारे में –

तुलसीदास जी के दोहे हिंदी अर्थ सहित / Tulsi Das Ke Dohe In Hindi

Tulsidas Ke Dohe In Hindi
Tulsidas Ke Dohe In Hindi

Tulsi Das Dohe

‘तुलसी’ जे कीरति चहहिं, पर की कीरति खोइ।
तिनके मुंह मसि लागहैं, मिटिहि न मरिहै धोइ।।

Tulsi Das Dohe In Hindi 

कवी तुलसी दास जी कहते हैं जो दूसरों की बुराई कर खुद प्रतिष्ठा पाना चाहते हैं वो खुद अपनी प्रतिष्ठा खो देते हैं. ऐसे व्यक्ति के मुँह पर ऐसी कालिक पुतेगी जो कितना भी कोशिश करे कभी नहीं मिटेगी।

Tulsi Das Dohe

तनु गुन धन महिमा धरम, तेहि बिनु जेहि अभियान।
तुलसी जिअत बिडम्बना, परिनामहु गत जान।।

Tulsi Das Dohe In Hindi 

तन की सुन्दरता, सद्गुण, धन, सम्मान और धर्म आदि  के बिना भी जिनको अभिमान हैं ऐसे लोगो का जीवन ही  दुविधाओं से भरा हुआ हैं जिसका परिणाम बुरा ही होता हैं।

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Tulsi Das Dohe

बचन बेष क्या जानिए, मनमलीन नर नारि।
सूपनखा मृग पूतना, दस मुख प्रमुख विचारि।।

Tulsi Das Dohe In Hindi 

वाणी की मधुरता और वस्त्रों की सुन्दरता से किसी भी पुरुष अथवा नारि के मन के विचारों को जाना नहीं जा सकता. क्यूंकि मन से मैले सुपनखा, मरीचि, पूतना और दस सर वाले रावण के वस्त्र सुन्दर थे।

Tulsi Das Dohe

राम नाम  मनिदीप धरु जीह देहरीं द्वार।
तुलसी भीतर बाहेरहुँ जौं चाहसि उजिआर|

Tulsi Das Dohe In Hindi 

तुलसीदासजी कहते हैं कि जो व्यक्ति मन के अन्दर और बाहर दोनों और उजाला चाहते हैं तब उन्हें अपने द्वार अर्थात मुख पर एवम देहलीज अर्थात जिव्हा पर प्रभु राम के नाम का दीपक जलाना होगा।

Tulsi Das Dohe

नामु राम  को कलपतरु कलि कल्यान निवासु।
जो सिमरत  भयो भाँग ते तुलसी तुलसीदास|

Tulsi Das Dohe In Hindi 

राम का नाम कल्प वृक्ष की तरह अमर कर देने वाला मुक्ति का मार्ग हैं जिसके स्मरण मात्र से तुलसीदास सा तुच्छ तुलसी के समान पवित्र हो गया।

Tulsi Das Dohe

तुलसी देखि सुबेषु भूलहिं मूढ़ न चतुर नर.
सुंदर केकिहि पेखु बचन सुधा सम असन अहि.|

Tulsi Das Dohe In Hindi 

तुलसी दास जी कहते हैं सुन्दर आवरण को देख कर केवल मुर्ख ही नहीं बुद्धिमान भी चकमा खा जाते हैं.जैसे मोर की वाणी कितनी मधुर होती हैं लेकिन उसका आहार सांप हैं।

Tulsi Das Dohe

सूर समर करनी करहिं कहि न जनावहिं आपु।
बिद्यमान  रन पाइ रिपु कायर कथहिं प्रतापु|

Tulsi Das Dohe In Hindi 

शूरवीर युद्ध में अपना परिचय कर्मो के द्वारा देते हैं उन्हें खुद का बखान करने की आवश्यक्ता नहीं होती और जो अपने कौशल का बखान शब्धो से करते हैं वे कायर होते हैं।

Tulsi Das Dohe
सरनागत कहुँ जे तजहिं निज अनहित अनुमानि।
ते नर पावँर पापमय तिन्हहि बिलोकति हानि|

Tulsi Das Dohe In Hindi 

जो मनुष्य शरण में आये मनुष्य को अपने निजी स्वार्थ के लिए छोड़ देते हैं वे पाप के भागी होते हैं। उनके दर्शन मात्र से बचना चाहिए।

Tulsi Das Dohe

दया धर्म का मूल  है पाप मूल अभिमान।
तुलसी दया न छांड़िए ,जब लग घट में प्राण|

Tulsi Das Dohe In Hindi 

तुलसी दास जी कहते हैं धर्म का मूल भाव ही दया हैं इसलिए कभी दया नहीं त्यागनी चाहिए. और अहम का भाव ही पाप का मूल अर्थात जड़ होती हैं।

Tulsi Das Dohe

सहज सुहृद  गुर स्वामि सिख जो न करइ सिर मानि।
सो  पछिताइ  अघाइ उर  अवसि होइ हित  हानि|

Tulsi Das Dohe In Hindi 

जो मनुष्य सच्चे गुरु के आदेश अथवा सीख का पालन नहीं करता| वह अंत में अपने नुकसान को लेकर बहुत पछताता हैं।

Tulsi Das Dohe

मुखिया मुखु सो चाहिऐ खान पान कहुँ एक।
पालइ पोषइ सकल अंग तुलसी सहित बिबेक|

Tulsi Das Dohe In Hindi 

तुलसीदास जी कहते हैं कि मुखिया शरीर के मुख के सामान होता हैं जिस तरह एक मुख भोजन करके पुरे शरीर का ध्यान रखता हैं उसी प्रकार परिवार का मुखिया सभी सदस्यों का ध्यान रखता हैं।

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