Om Jai Jagdish Hare Aarti : ओम जय जगदीश हरे भगवान विष्णु जी की आरती है। ॐ जय जगदीश हरे की आरती बहुत ही मंगलकारी मानी जाती है और भारत में हर पूजा में भगवान विष्णु जी की आरती का पाठ किया जाता है।
हिन्दू शास्त्रों के अनुसार भगवान श्री हरि के कई अवतार हैं। हम सब उन्हें इस जगत का पालनकर्ता भी कहते है। कहा जाता है की भगवान विष्णु जी की आरती का जाप करने से पाप और कष्टों से मुक्ति मिलती है साथ ही इससे मां लक्ष्मी प्रसन्न होती है और उस घर में दरिद्रता का वास नहीं होता।
इसीलिए आज हम इस लेख में आपके लिए भगवान श्री विष्णु जी की आरती हिंदी लिरिक्स (om jai jagdish hare aarti lyrics in hindi) लेकर आइए है जिन्हे आप देख कर पढ़ सकते हैं साथ ही इसको PDF में डाउनलोड भी कर सकते है।
Om Jai Jagdish Hare Aarti
ॐ जय जगदीश हरे, स्वामी जय जगदीश हरे।
भक्त जनों के संकट, दास जनों के संकट, क्षण में दूर करे।
। । ॐ जय जगदीश हरे। ।
जो ध्यावे फल पावे, दुःखबिन से मन का, स्वामी दुःखबिन से मन का।
सुख सम्पति घर आवे, सुख सम्पति घर आवे, कष्ट मिटे तन का।
। । ॐ जय जगदीश हरे। ।
मात पिता तुम मेरे, शरण गहूं किसकी, स्वामी शरण गहूं मैं किसकी।
तुम बिन और न दूजा, तुम बिन और न दूजा, आस करूं मैं जिसकी।
। । ॐ जय जगदीश हरे। ।
तुम पूरण परमात्मा, तुम अन्तर्यामी, स्वामी तुम अन्तर्यामी।
पारब्रह्म परमेश्वर, पारब्रह्म परमेश्वर, तुम सब के स्वामी।
। । ॐ जय जगदीश हरे। ।
तुम करुणा के सागर, तुम पालनकर्ता, स्वामी तुम पालनकर्ता।
मैं मूरख फलकामी, मैं सेवक तुम स्वामी, कृपा करो भर्ता।
। । ॐ जय जगदीश हरे। ।
तुम हो एक अगोचर, सबके प्राणपति, स्वामी सबके प्राणपति।
किस विधि मिलूं दयामय, किस विधि मिलूं दयामय, तुमको मैं कुमति।
। । ॐ जय जगदीश हरे। ।
दीन-बन्धु दुःख-हर्ता, ठाकुर तुम मेरे, स्वामी रक्षक तुम मेरे।
अपने हाथ उठाओ, अपने शरण लगाओ, द्वार पड़ा तेरे।
। । ॐ जय जगदीश हरे। ।
विषय-विकार मिटाओ, पाप हरो देवा, स्वमी पाप हरो देवा
श्रद्धा भक्ति बढ़ाओ, श्रद्धा भक्ति बढ़ाओ, सन्तन की सेवा
। । ॐ जय जगदीश हरे। ।
ॐ जय जगदीश हरे, स्वामी जय जगदीश हरे।
भक्त जनों के संकट, दास जनों के संकट, क्षण में दूर करे।
। । ॐ जय जगदीश हरे। ।