मैथिली भगवती गीत: जगदम्ब अहीं अबिलम्ब हमर हे माय आहाँ बिनु आश ककर…

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Jagdamab Ahi Avlamb Humar: जगदम्ब अहीं अबिलम्ब हमर हे माय आहाँ बिनु आश ककर, जँ माय आहाँ दुख नहिं सुनबई, त जाय कहु ककरा कहबै! इसे मैथिलि गीत को प्रदीप जी द्वारा लिखा गया है।

जगदम्ब अहीं अबिलम्ब हमर (Jagdamb Ahin Awlamb Hamar Lyrics)

जगदम्ब अहीं अबिलम्ब हमर
हे माय आहाँ बिनु आश ककर

जँ माय आहाँ दुख नहिं सुनबई
त जाय कहु ककरा कहबै

करु माफ जननी अपराध हमर
हे माय आहाँ बिनु आश ककर

हम भरि जग सँ ठुकरायल छी
माँ अहींक शरण में आयल छी

देखु हम परलऊँ बीच भमर
हे माय आहाँ बिनु आश ककर

काली लक्षमी कल्याणी छी
तारा अम्बे ब्रह्माणी छी

अछि पुत्र-कपुत्र बनल दुभर
हे माय आहाँ बिनु आश ककर
जगदम्ब…..

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