Madhushravani 2024 Date: कब है मधुश्रावणी, जानिए तारीख, मधुश्रावणी कथा

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मधुश्रावणी कब है 2024: मिथिला संस्कृति के आस्था के पर्व मधुश्रावणी सावन मास के कृष्ण पक्ष पंचमी 7 अगस्त बुध दिन (Madhushravani 2024 Start Date) स शुरू भ 21 अगस्त (Madhushravani End Date 2024) के समाप्त होयत। 15 दिन तक चलय वाला ई पूजा नवविवाहिता महिला द्वारा कयल जाइत अछि। नवविवाहिता महिला सब भोर मे ब्रह्ममुहूर्त मे पवित्र गंडक मे पवित्र स्नान आ अरवा भोजन केलाक बाद पूजा शुरू करैत छथि।

पति के दीर्घायु के लिए की जाती है पूजा-अर्चना

महिला द्वारा कयल गेल मधुश्रावणी पूजा (Madhushravani Puja) पति के दीर्घायु आ सुख के लेल कयल जाइत अछि। कथा के पाठ पूजा के दौरान मैना पंचमी, मंगला गौरी, पृथ्वी जन्म, शिव विवाह, गंगा कथा, बिहुला कथा आ बाल बसंत कथा सहित 15 खंड में कयल गेल अछि।

पूजा के अंतिम दिन टेमी दागने की है परंपरा

मधुश्रावणी पूजा करय वाली महिला के बहुत कठिन परीक्षा स गुजरय पड़ैत छनि. टेमी जरेबाक परंपरा मे नवविवाहिता के हाथ-पैर गरम सुपारी, पान आ आरती सँ जराओल जाइत अछि। एकर पाछु एकटा मान्यता अछि जे एहि स पति-पत्नी क संबंध मजबूत होइत अछि।

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मधुश्रावणी व्रत (Madhushravani Vrat) के लिए क्या है मान्यता?

मान्यता अछि जे माता पार्वती पहिने मधुश्रावणी व्रत केने छलीह आ जन्म के बाद जन्म तक भगवान शिव के पति बनाबैत रहलीह। एहि पावनि मे माँ पार्वती आ भगवान शिव सँ जुड़ल मधुश्रावणीक कथा सेहो सुनल जाइत अछि। बासी फूल, सासुरक पूजा सामग्री, दूध, लावा आ अन्य सामग्रीक संग-संग नाग देवता आ विषहरक पूजा सेहो होइत अछि।

मधुश्रावणी कथा

एक दिन एकटा बूढी स्नानक हेतु पोखैर गेलि त देखलखिन जे धार में एकटा चिकनी पात पर पाँच टा किछु लहलाहैत अछि I ओ जीव सब बूढी के कहलखिन जे –हे बूढी ! गाम जा क लोक सब के सूचित क दिअऊ जे आई मौनी पंचमी थिकैक से लोक सब अपना घर आँगन के निक जेकाँ पवित्र कय,स्नान कय पाँच टा मईटक आकृति बना ओहि में सिंदूर-पिठार लगा दूभि साईट देथिन आ हुनका पर नेबो, नीमक पात ,कुश चढेथिन I नव बर्तन में खीर आ घुरजौर बनेती .ओकर बाद बिसहारा क पूजा कय हुनका दूध,लावा ,खीर आ घुरजौर चढ़ा अपनों सब नेबो नीम खीर-घुरजौर के सेवन करैथ I जे कियो एही प्रकारे पूजा करता तिनका कल्याण हेतनि I

बूढी गाम आबि सबके कहलखिन I सब गोटा बूढी के कहलानुसारे पूजा केलनि,मुदा किछु लोग एकरा मात्र खिस्सा बुझि अनठा देलैथ I जे सब पूजा केलैथ से सब त ठीक रहला मुदा जे नय केलैथ से सब राति में मरि गेल I गावँ में हाहाकार मचि गेल I सब लोग धार लग ओहि बूढी संगे फेर गेलैथ त देखलखिन जे पाँचो बिसहारा साँप ओहिना लहलहैत छेलेथ I सब हुनका आगु कल जोरि मुइला क जियेवाक उपाय पुछलखिन I तखन बिसहारा कहलखिन जे – पहिने त ओ सब हमरा अनुसारे पावनि नहीं केलैथ ते सब मरि गेला ,आब एके उपाय जँ गाम में ककरो कराही में खीर-धोरजौर लागल हैत तँ ओकरा मूईल सब के मुँह में चटा देवैक त ओ सब पुनः जीवित भय जेता मुदा आगु सं नियमित मौनी पंचमी के पूजा करता I

गाम क लोक बिसहारा क कहलानुसार केलेथ आ सब मुइल लोक सब पुनः जीवित भय गेला ,और सब गोटा बिसहरी माता क प्रणाम कई हुनका स क्षमा मंगलैथ I

बिसहारा क जन्म

एक दिन गौरी महादेव सरोवर में जल क्रीङा करैत छलाह I संयोगवश शिव के वीर्य स्खलन भय गेल I महादेव ओकरा पुरैनिक पात पर राखि देलखिन I ओहि सं बिसहारा पाँचो बहिन क जन्म भेल I महादेव के अपना संतान पाँचो बिसहारा सं मोह भय गेल ,ओ प्रतिदिन सरोवर में स्नान लेल जाथिन आ बङी -बङी काल धरि ओकरा सब संगे खेलैथ I गौरी क संदेह होमए लगलैन I ओ एक दिन महादेव के पाछु पाछु सरोवर तक गेलथ आ ओतय शिव के अनका संगे खेलाइत देख क्रोधित भय गेलैथ आ सब बिसहरी के फेकए लागलि I तखन महादेव हुनका बुझेलखिन जे ई सब हुनकर बेटी छिएनि आ कल्याणकारी छैथ I मृत्युभुवन में सावन मास जे एय पाँचो बहिन छी-जाया ,बिसहरी ,शामिलबारी आ दोतलि के पूजा करतैथ ओ धन-ध्यान सं पूर्ण होयतथि आ ओकरा सब तरहे कल्याण होयत I

कथा सुनला उपरांत नीचा लिखल बाचो बीनी सुनितीं बाचो बीनी
“पुरैनिक पत्ता ,झिलमिल लत्ता ताहि चढ़ी बैसली बिसहरी माता I
हाथ सुपारी खोईंछा पान ,बिसहरी माता करती शुभ कल्याण “II

देवता सब के प्रणाम करि बिनी क पोटरी कलश पर राखि सब जेष्ठ सब के प्रणाम करि ,पूजा बला साडी खोलि राईख देथिन,जकरा फेर सब दिन पूजा काल पहिरल जायत I साँझ में साँझ आ कोहवर क गीत गायल जायत I एहिना मधुश्रावनी सं एक दिन पूर्व तक पूजा कथा आ बीनी होईत रहत I