Dussehra 2025 Kab Hai: Dussehra (Vijaya Dashami, Dasara, or Dashain) दशहरा (विजयादशमी या आयुध-पूजा) हिन्दुओं का एक प्रमुख त्योहार है। हिंदू त्योहार दशहरा को विजयदशमी के नाम से भी जाना जाता है। वही बंगाल में इस त्यौहर को बंगाली लोग बिजॉय दशमी के रूप में मानते है। आइए जानते है दशहरा 2025 की तारीख समय, इतिहास और महत्व के बारे में।
दशहरा का पर्व बुराई को त्याग कर अच्छाई को अपनाने के लिए प्रेरित करता है। इसीलिए इस त्योहार को बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक माना गया है हिंदू पंचांग के अनुसार दशहरा यानि विजय दशमी का त्योहार आश्विन मास की शुक्ल पक्ष की दशमी की तिथि को मनाया जाता है।
यह त्यौहार भगवान राम की रावण पर विजय के रूप में मनाया जाता है। यह राक्षस महिषासुर पर देवी दुर्गा की विजय का भी जश्न मनाता है। कई जगहों पर इस दिन रावण के पुतले जलाए जाते हैं, जो बुराई के विनाश का प्रतीक है, साथ ही आतिशबाजी भी करते हैं।
दशहरा कब है? (Dussehra 2025 Me Kab Hai)
2025 Ka Dashara Kitne Tarikh Ko Padega: हिंदू पचांग के अनुसार इस साल (2024) दशहरा का त्योहार पूरे भारत वर्ष में 12 अक्टूबर 2024 शनिवार को मनाया जाएगा।
दशहरा पूजा शुभ मुहूर्त (Vijayadashami Shubh Muhurat)
Dussehra 2024 Start Date and End Date: हिन्दू कैलेंडर के अनुसार, दशहरा को प्रतिवर्ष अश्विन माह के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को अपराह्न काल में मनाया जाता है। इस साल दशहरा 2 अक्टूबर, 2025 गुरुवार को मनाया जाएगा
श्रवण नक्षत्र आरंभ – 02 अक्टूबर 2025, सुबह 09:13
श्रवण नक्षत्र आरंभ – 03 अक्टूबर 2024, सुबह 09:34
- विजय मुहूर्त – दोपहर 02.15 – दोपहर 03:03
- अवधि – 48 मिनट
- अपराह्न पूजा का समय – दोपहर 01:27 – दोपहर 03:50
Dussehra Katha
इस पर्व के पीछे कई पौराणिक कथाएं हैं। दशहरा को विजयदशमी (Vijayadashami)भी कहा जाता है। विजय दशमी के पर्व लेकर कहा जाता है कि इसी दिन मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान राम ने अहंकारी लंकापति रावण का वध किया था। पृथ्वी पर मनुष्य को रावण के अत्याचार और अंहकार से मुक्ति दिलाने के लिए ही भगवान विष्णु ने राम के रूप में अवतार लिया था। रावण पर विजय प्राप्त करने की खुशी में ही दशहरा का पर्व मनाया जाता है।
भारत के कुछ हिस्सों में यह दिन उस दिन का प्रतीक है जिस दिन देवी दुर्गा ने महिषासुर का वध किया था। इस तरह नवरात्र में मां दुर्गा के सभी नौ अवतारों की पूजा की जाती है। दक्षिण भारत में, दशहरा उत्सव उस दिन के रूप में मनाया जाता है जब चामुंडेश्वरी ने राक्षस महिषासुर का वध किया था।
दशहरा बुराई पर अच्छाई की जीत का पर्व है। यह त्योहार किसी न किसी दिन उन गलत कामों का प्रतीक है जो सबके सामने आते हैं। दशहरा को नए व्यवसाय या नए निवेश शुरू करने का दिन माना जाता है। दक्षिण भारत में, इस दिन छोटे बच्चों को स्कूलों में प्रवेश देना शुभ माना जाता है।
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