
Bihar Higher Education Expansion: बिहार राज्य सरकार ने वित्तीय वर्ष 2025-26 के बजट में राज्य में शिक्षा के स्तर को बढ़ावा देने के लिए उच्च शिक्षा के लिए राज्य के 6 जिलों में कुल 44 नए डिग्री कॉलेज खोलने की घोषणा की है।
दरभंगा: बिहार के छात्रों के लिए एक बहुत ही अच्छी खबर सामने आई है। राज्य सरकार ने उच्च शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए एक बड़ा फैसला लिया है। राज्य सरकार आने वाले समय में दरभंगा समेत छह जिलों के 44 प्रखंडों (ब्लॉक) में नए डिग्री कॉलेज (New Degree College in Bihar) खोलने जा रही है। अगर राज्य सरकार ऐसा करने में सफल होती है तब इसका सीधा फ़ायदा गाँव के बच्चों को मिलेगा जो की कॉलेज की पढ़ाई करने के लिए दूसरे राज्य जाते थे।
इस योजना का सबसे ज़्यादा फायदा ग्रामीण इलाकों में रहने वाले गरीब और सामान्य परिवारों के छात्रों को मिलेगा। जो छात्र पहले दूरी या पैसे की कमी के कारण आगे की पढ़ाई नहीं कर पाते थे, उनका कॉलेज जाने का सपना अब पूरा हो सकेगा। इन नए कॉलेजों के खुलने से उच्च शिक्षा के अवसर बढ़ेंगे और शिक्षा की गुणवत्ता भी बेहतर होगी।
शिक्षा विभाग ने इस योजना पर तेजी से काम शुरू कर दिया है। शिक्षा विभाग ने इसके लिए 6 जिलों में कॉलेज बनाने के लिए जमीन (जगह) को चिह्नित भी कर लिया है। अब जमीन की पूरी करवाई होते ही कॉलेज के भवन (बिल्डिंग) का निर्माण कार्य शुरू किया जाएगा। सरकार का कहना है कि यह कदम शिक्षा के क्षेत्र में एक बड़ा बदलाव लाएगा और हर छात्र को उसके घर के पास अच्छी पढ़ाई का मौका मिलेगा।
दरभंगा को मिलाकर, इन छह जिलों (दरभंगा, मुजफ्फरपुर, वैशाली, पूर्वी चंपारण, पश्चिमी चंपारण, सीतामढ़ी, शिवहर) में कॉलेज का निर्माण किया जाएगा।
प्रखंडों में कॉलेज क्यों हैं समय की मांग?
बिहार के शिक्षा क्षेत्र में एक क्रांतिकारी बदलाव की नींव रखी जा रही है, जो राज्य के लाखों छात्रों के लिए एक उज्जवल भविष्य की गारंटी है। यह पहल केवल ईंट-पत्थर से कॉलेज बनाना नहीं है, बल्कि शैक्षणिक असमानता की खाई को मिटाने का एक निर्णायक प्रयास है।
स्थानीय स्तर पर शिक्षा की अनिवार्यता
आज भी हमारी हज़ारों प्रतिभाएँ स्नातक (ग्रेजुएशन) की पढ़ाई के लिए अपने प्रखंड की सीमाएँ लाँघकर दूसरे ज़िलों में जाने को मजबूर हैं। यह मजबूरी कई सामाजिक और आर्थिक चुनौतियाँ खड़ी करती है:
बेटियों की शिक्षा पर ब्रेक: दूर-दराज़ के शहरों में पढ़ने भेजने की झिझक के कारण, खासकर ग्रामीण लड़कियों की उच्च शिक्षा का प्रतिशत सबसे पहले प्रभावित होता है। प्रखंड में कॉलेज आने से उनकी पढ़ाई की राह आसान होगी।
समय और धन की बर्बादी: आर्थिक रूप से कमज़ोर छात्रों को हॉस्टल, यात्रा और महंगे शहरों में रहने का अनावश्यक बोझ उठाना पड़ता है, जो अब स्थानीय स्तर पर कॉलेज खुलने से बचेगा।
बदलेगा क्षेत्र का मिजाज़: जब शिक्षा के केंद्र स्थानीय स्तर पर स्थापित होते हैं, तो पूरे क्षेत्र में एक सकारात्मक शैक्षणिक माहौल तैयार होता है, जिससे जागरूकता और विकास को बल मिलता है।
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