
मैथिली ग़ज़ल: कलमक हथियार सन हथियार की हेतै। धड़गड़ जिह्वा सनक तलवार की हेतै।।
मैथिली ग़ज़ल (Maithili Ghazal) : गजल मूलतः अरबी शब्द छैक तँए ई बुझबामे कोनो भाँगठ नहि जे गजल नामक काव्य सर्वप्रथम अरबी भाषा सँ आएल छैक।गजल मने प्रेमिकाक आँचर सेहो होइत छैक ,गजल मने हिरणीक दर्द भरल आवाज सेहो होइत छैक, गजल मने प्रेमी-प्रेमीकाक (Maithili Prem Ghazal) गप्प सेहो होइत छैक धरि आब गजल एतय तक सिमित नहिं छैक कहबाक तात्पर्य जे जतेक विषय ततेक आ तेहन गजल। आब गजलमे भूख,गरीबी,दर्द, राजनीति,दहेज, आनो आनो बात सभ गजलकार आनि रहल छथि।आइ एकटा ओहन युवा गजलकारकेँ अभिलाष ठाकुर (Abhilash Thakur) गजल पढ़ब जे मैथिली गजलमे मैथिली गजल (Maithili Ghazal) कम समयमे बहुत पैघ नाम बना चुकल छथि तकर कारण रचनामे कथ्य,शिल्प भाव एकदम लाजवाब रहैत छन्हिं।मैथिली ग़ज़ल लेखक: अभिलाष ठाकुर1. मैथिली ग़ज़लकलमक हथियार सन हथियार की हेतै।धड़गड़ जिह्वा सनक तलवार की हेतै।।चाहे &...