Presidential Election in India: कैसे होता है राष्ट्रपति चुनाव? कौन कर सकता है नामांकन, कौन-कौन डालता है वोट, जानिए पूरी प्रक्रिया

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Presidential Election Process: देश में 18 जुलाई को राष्ट्रपति चुनाव के लिए वोट डाले जाने हैं। इसको लेकर आपके मन में एक सवाल आता होगा की आखिर कैसे होता है भारत में राष्ट्रपति का चुनाव (president election kaise hota hai)। आप के इस सवाल का जबाव आज हम इस लेख के जरिए आप तक पहुंचाने की कोशिश करेंगे। तो चलिए शुरू करते है आज का यह लेख जिसमे हम जानेंगे कि आखिर कैसे भारत का राष्ट्रपति चुना जाता है, कैसे और कौन-कौन वोट डालता है।

भारत में राष्ट्रपति का चुनाव कैसे होता है: भारत में राष्ट्रपति (President) देश के सर्वोच्च नागरिक होते हैं। भारत में राष्‍ट्रपति पद के लिए अप्रत्‍यक्ष निर्वाचन होता है। भारत में राष्‍ट्रपति का चुनाव जनता सीधे नहीं करती, बल्कि जनता के वोट से चुने गए प्रतिनिधि करते हैं। इसके संसद के नामित सदस्‍य और विधान परिषदों के सदस्य हिस्‍सा नहीं लेते क्‍योंकि ये जनता द्वारा सीधे नहीं चुने जाते हैं।

अप्रत्यक्ष निर्वाचन द्वारा होता है चुनाव

राष्ट्रपति का चुनाव अप्रत्यक्ष निर्वाचन (Indirect election) द्वारा होता है। इसका मतलब ये है कि राष्ट्रपति का चुनाव इलेक्टोरल कॉलेज करता है। देश की जनता राष्ट्रपति का चुनाव सीधे खुद नहीं करती बल्कि उसके वोट से चुने हुए प्रतिनिधि करते हैं। इसे ही अप्रत्यक्ष निर्वाचन कहते हैं। इस प्रक्रिया में वोटिंग का अधिकार चुने हुए विधायक और सांसदों के पास होता है। राष्ट्रपति चुनाव में संसद में नामित सदस्य और विधान परिषदों के सदस्य वोट नहीं डाल सकते हैं, क्योंकि ये जनता द्वारा सीधे नहीं चुने जाते हैं।

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कौन बन सकता है राष्ट्रपति?

भारत में राष्‍ट्रपति पद के लिए उम्‍मीदवार बनने के लिए कई योग्‍यताएं होना जरूरी होता है। भारतीय सविंधान के अनुच्छेद 58 के तहत, एक उम्मीदवार को राष्ट्रपति के पद का चुनाव लड़ने के लिए अनिवार्य रूप भारत का नागरिक होना चाहिए। उसकी आयु 35 वर्ष या उससे अधिक होनी चाहिए। लोकसभा का सदस्य बनने के योग्य होना चाहिए। इसके साथ ही भारत सरकार या किसी राज्य की सरकार के अधीन या किसी स्थानीय या अन्य प्राधिकरण के अधीन किसी भी उक्त सरकार के नियंत्रण के अधीन लाभ का कोई पद धारण नहीं किया होना चाहिए।

उम्‍मीदवार दाखिल करते हैं नामांकन

योग्‍यता के बाद दूसरा चरण है नामांकन। राष्‍ट्रपति पद के उम्‍मीदवार को अपना नामांकन दाखिल करना होता है। राष्ट्रपति पद के लिए15000 रुपये से अधिक जमा करने होते हैं और 50 प्रस्तावकों और 50 समर्थकों की एक हस्ताक्षर की हुई सूची जमा करनी होती है। प्रस्तावक और समर्थक राष्ट्रपति चुनाव 2022 में मतदान करने के योग्य निर्वाचकों में से कोई भी हो सकता है। हालांकि नियम के अनुसार राष्ट्रपति चुनाव में वोट देने योग्य व्यक्ति केवल एक ही उम्मीदवार के नाम का प्रस्ताव या समर्थन कर सकता है।

कौन वोट डाल सकता है

राष्ट्रपति को चुनने के लिए लोकसभा के 543 सदस्य, राज्यसभा के 233 सदस्य और 4120 विधायक हिस्सा लेंगे। हालांकि लोकसभा में 03 और राज्यसभा में फिलहाल 16 जगहें खाली हैं लेकिन जुलाई में राष्ट्रपति चुनाव तक ये सीटें उपचुनाव और राज्य सभा चुनाव के जरिए भर चुकी होंगी। राष्ट्रपति चयन के लिए जो सांसद और विधायक वोट डालते हैं उन्हें इलेक्टॉरल कॉलेज यानी निर्वाचक मंडल कहा जाता है, जिसका जिक्र संविधान के आर्टिकल 54 में किया गया है। हर एक वोटर को चुनावी भाषा में इलेक्टर कहा जाता है। लेकिन यहां ध्यान रखा जाना चाहिए कि किसी भी सदन के नॉमिनेटेड सदस्य राष्ट्रपति चुनाव में वोट नहीं कर सकते क्योंकि ये सीधे जनता के द्वारा नहीं चुने जाते हैं। ऐसे में राज्यसभा के 12 और लोकसभा के 2 सदस्य इसमें हिस्सा नहीं लेते हैं।

वोट वैल्यू तय करने का आधार

राष्ट्रपति के चुनाव में सांसद और सभी राज्यों के विधायक वोट देते हैं। इस बार चुनाव में इलेक्टोरल कॉलेज में 4809 सदस्य होंगे। इनमें राज्य सभा के 233, लोकसभा के 543 और विधानसभाओं के 4033 सदस्य होंगे। राष्ट्रपति चुनाव में हर वोट की एक वैल्यू होती है। इस बार हर संसद सदस्य के वोट की कीमत 700 तय की गई है। सांसदों की वोट वैल्यू के लिए कुल सांसदों की संख्या (776) से कुल निर्वाचित विधायकों की कुल वैल्यु ( 5,43,231) से भाग दें तो एक सांसद के वोट की वैल्यू निकल कर आती है। जो फिलहाल 700 है। इसी हिसाब से सांसदों की वोट की कुल वैल्यू 700X776= 5,43,200 है। इसके अलावा विधायकों के वोट की वैल्यू उस राज्य की जनसंख्या के हिसाब से एक फॉर्मूले के निकाली जाती है।

विधायकों के वोट की कैसे तय होती है वैल्यू

हर राज्य की जनसंख्या और उनकी विधायसभा में सदस्यों की संख्या के हिसाब से उस राज्य में एक विधायक के वोट की वैल्यू तय की जाती है। इस बार यूपी के विधायकों के वोट का वेटेज 208 होगा, जबकि मिजोरम में 8 और तमिलनाडु में 176 होगा। राष्ट्रपति चुनाव में विधायकों के वोटों का कुल वेटेज 5,43,231 होगा। वहीं संसद के सदस्यों के वोटों का वेटेज 543,200 है। कुल मिलाकर इस साल सभी सदस्यों के वोटों का वेटेज 1086431 है।

सांसदों को हरे और विधायक को मिलता है गुलाबी मतपत्र

सांसदों को हरे रंग और विधायकों को गुलाबी रंग का मतपत्र दिया जाता है। उन्हें विशेष पेन भी दिए जाते हैं, जिसका उपयोग वे अपने वोट रिकॉर्ड करने के लिए करते हैं। राष्‍ट्रपति चुनाव के दौरान मतपत्र पर सभी उम्‍मीदवारों के नाम होते हैं और वोटर अपनी वरीयता को 1 या 2 अंक के रूप में उम्‍मीदवार के नाम के सामने लिखकर वोट देता है। ये अंक लिखने के लिए चुनाव आयोग पेन उपलब्‍ध कराता है। यदि यह अंक किसी अन्‍य पेन से लिख दिए जाएं तो वह वोट अमान्‍य हो जाता है। वोटर चाहे तो केवल पहली वरीयता ही अंकित कर सकता है, सभी उम्‍मीदवारों को वरीयता देना जरूरी नहीं होता है।

चुनावी जीत का आंकड़ा

कुल वैध वोट की वैल्यू में से आधे से ज्यादा जीत दर्ज करने के लिए जरूरी होता है जिसे कोटा कहा जाता है। लेकिन राष्ट्रपति चुनाव में जीत सबसे ज्यादा वोट हासिल करने से नहीं बल्कि सबसे ज्यादा वोट वैल्यू हासिल करने से होती है। यानी चुनाव से पहले ही स्पष्ट होता है कि जीत के लिए कितनी वोट वैल्यू हासिल करनी होगी। मसलन इस चुनाव में इलेक्टोरल कॉलेज के सदस्यों के वोटों की कुल वेटेज 10,98,882 है, यानी जीत के लिए प्रत्याशी को 5,49,442 हासिल करने होंगे।

क्या राष्ट्रपति को पद से हटाया जा सकता है?

राष्ट्रपति को उसके पद से महाभियोग के ज़रिये हटाया जा सकता है। इसके लिए लोकसभा और राज्यसभा में सदस्य को चौदह दिन का नोटिस देना होता है। इस पर कम से कम एक चौथाई सदस्यों के दस्तख़त ज़रूरी होते हैं। फिर सदन उस पर विचार करता है। अगर दो-तिहाई सदस्य उसे मान लें तो फिर वो दूसरे सदन में जाएगा। दूसरा सदन उसकी जांच करेगा और उसके बाद दो-तिहाई समर्थन से वो भी पास कर देता है तो फिर राष्ट्रपति को पद से हटा हुआ माना जाएगा।

भारत में अबतक कितने राष्ट्रपति रहे हैं और उनके नाम क्या हैं?

  1. डॉ. राजेंद्र प्रसाद (1884-1963)
  2. डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन (1888-1975)
  3. डॉ. ज़ाकिर हुसैन (1897-1969)
  4. वराहगिरी वेंकट गिरी (1894-1980)
  5. डॉ. फ़ख़रुद्दीन अली अहमद (1905-1977)
  6. निलम संजीव रेड्डी (1913-1996)
  7. ज्ञानी जैल सिंह (1916-1994)
  8. आर वेंकटरमन (1910-2009)
  9. डॉ. शंकर दयाल शर्मा (1918-1999)
  10. के आर नारायनन (1920 – 2005)
  11. डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम (1931-2015)
  12. प्रतिभादेवी सिंह पाटिल (1934-)
  13. प्रणब मुखर्जी (1935-2020)
  14. रामनाथ कोविंद (1945-)
  15. द्रौपदी मुर्मू